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राजधानी भोपाल के ऐशबाग क्षेत्र स्थित, अपने 90 डिग्री के तीखे मोड़ के कारण देशभर में चर्चा का विषय बना फ्लाईओवर अब रिडिजाइन किया जाएगा। इस फ्लाईओवर को सुरक्षित और सुगम बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण बदलाव किए जाएंगे। इसके फुटपाथ को तोड़कर लगभग तीन फीट अतिरिक्त टर्निंग स्पेस बनाई जाएगी, जिससे मोड़ पर वाहनों को पर्याप्त जगह मिल सके।

इसके साथ ही, रेलवे ने ब्रिज को 10 फीट और चौड़ा करने की अनुमति दे दी है, जिसमें से चार फीट अतिरिक्त चौड़ाई का काम जल्द शुरू होगा। यह चौड़ीकरण का कार्य ठेकेदार अपने खर्च पर करेगा। फ्लाईओवर पर सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के लिए इलेक्ट्रिक सिग्नल, स्पीड ब्रेकर, रैलिंग और रोड साइन जैसी आवश्यक सुविधाएं भी स्थापित की जाएंगी।

सरकार द्वारा इस ब्रिज की जांच करवा ली गई है और यह स्पष्ट किया गया है कि इसका ड्राइंग, डिजाइन और निर्माण एक सामूहिक सहमति का परिणाम था। इस फ्लाईओवर को प्रशासकीय स्वीकृति वर्ष 2018 में मिली थी, लेकिन तत्कालीन सरकार की असहमति के कारण इसका निर्माण 2022 में शुरू हो पाया था। डिजाइन की अनुमति रेलवे से प्राप्त हुई थी, और निर्माण कार्य लोक निर्माण विभाग तथा स्थानीय जनप्रतिनिधियों की सहमति से हुआ था।

तीन जांच टीमों ने दिए अहम सुझाव

सरकार ने इस फ्लाईओवर की सुरक्षा जांच के लिए तीन अलग-अलग टीमें गठित की थीं, जिनकी रिपोर्ट में कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए हैं:

  • एनएचएआई अधिकारी आरओ एस.के. सिंह ने सुझाव दिया कि ब्रिज पर 30 किमी/घंटा से अधिक रफ्तार की अनुमति न हो, ब्रिज की दीवार ऊंची की जाए, सटीक संकेत और पर्याप्त लाइटिंग व्यवस्था हो, और फुटपाथ को तोड़कर ब्रिज में शामिल किया जाए।
  • एमपीआरडीसी इंजीनियर ने सुझाव दिए कि बड़े वाहनों का प्रवेश प्रतिबंधित किया जाए, जब तक चौड़ीकरण नहीं हो जाता, ब्रिज पर यातायात सीमित रखा जाए, तेज गति को रोकने के लिए रोड डिजाइन में परिवर्तन किया जाए, और जहां सड़कों का मिलन बिंदु है, वहां दीवार मोटी और ऊंची हो।
  • इसके अलावा, इस बात पर भी विचार चल रहा है कि इस ब्रिज से केवल दोपहिया वाहनों को ही गुजरने की अनुमति दी जाए।

निर्माण में आईं तकनीकी चुनौतियाँ

इस ब्रिज के निर्माण में कई तकनीकी चुनौतियाँ थीं। एक ओर मेट्रो लाइन, दूसरी तरफ रेलवे लाइन और तीसरी तरफ स्टेडियम स्थित है। यह ब्रिज लगभग 5 लाख की आबादी की आवाजाही का मुख्य जरिया है। वर्ष 2022 में रेलवे ने राज्य सरकार से परामर्श किए बिना फाटक बंद कर दिया था, जिससे आवागमन बुरी तरह बाधित हुआ। इस आपातकालीन परिस्थिति में ब्रिज निर्माण का निर्णय लेना आवश्यक हो गया था।

अफसर ने कहा...

सरकार को सौंपी गई जांच रिपोर्ट में कहा है कि 90 डिग्री मोड़ वाले फ्लाईओवर का निर्णय सामूहिक था, इसलिए किसी एक अभियंता की गलती नहीं मानी जा सकती। रेलवे ने भी निर्माण की विधिवत अनुमति दी थी।

नीरज मंडलोई, अपर मुख्य सचिव लोनिवि